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Wednesday, January 2, 2013

क्या इसलिए हम सेकुलर हैं?


हम भारत के संविधान में निहित प्रावधानों का उल्लंघन करके अल्पसंख्यकों को आरक्षण देते हैं।

हम बंगलादेश के घुसपैठियों का राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बनवाकर भारत की नागरिकता भी देते हैं।

 हम हिन्दू-तीर्थस्थलों की यात्रा के लिए एक पैसा भी नहीं देते, उल्टे टिकट और अन्य सुविधाओं के लिए 'सेवा कर' भी वसूलते हैं।

 हम सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार करके हज यात्रियों को हिन्दुओं पर 'जजिया कर' लगाकर भारी 'सब्सिडी' देते हैं।

 हम हिन्दुओं के लिए एक पत्नी रखने का कानून बनाते हैं और मुसलमानों के चार पत्नियां रखने के अधिकार को जायज ठहराते हैं।

 हम हिन्दू लड़कियों के घटते वस्त्र को नारी स्वातंत्र्य का जीवन्त उदाहरण मानते हैं और मुसलमानों की बुकर्ा प्रथा का समर्थन करते हैं।

 हम भारत माता को सार्वजनिक रूप से डायन कहने वाले को कैबिनेट मंत्री के पद से सम्मानित करते हैं।

 हम वन्दे मातरम् को अपमानित करने वालों को राज्य और केन्द्र सरकार में ऊंचे ओहदे देते हैं।

 हम 15 अगस्त के दिन पाकिस्तानी झंडा फहराने वालों और तिरंगा जलाने वालों को दिल्ली बुलाकर बिरयानी खिलाकर वार्ता करते हैं।

 हम कश्मीर घाटी से हिन्दुओं को जबरन खदेड़े जाने पर चुप्पी साध लेते हैं और असम में बंगलादेशियों के विस्थापन को राष्ट्रीय शर्म मानते हैं।

 हम देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार मुस्लिम लीग से केरल और केन्द्र में सत्ता की साझेदारी करते हैं और राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर बार-बार प्रतिबंध लगाते हैं।

 हम मदरसों में आतंकवाद की शिक्षा देने वालों को सरकारी अनुदान देते हैं एवं सरस्वती शिशु मन्दिरों की नकेल कसते हैं।

 हम भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल और कन्हैया लाल माणिक लाल मुन्शी के प्रयासों से सोमनाथ मन्दिर के पुनर्निर्माण को सेकुलर मानते हैं और राम मन्दिर निर्माण को घोर सांप्रदायिक।

 हम रामसेतु तोड़कर जलमार्ग बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और बाबरी निर्माण के लिए भी कृतसंकल्प हैं।

 हम 1984 के सिखों के कत्लेआम को इन्दिरा गांधी की मृत्यु से उत्पन्न सामान्य प्रतिक्रिया मानते हैं और गुजरात की हिंसा को महानतम सांप्रदायिक घटना।

 हम देश की प्राकृतिक संपदा पर 'मूल निवासी' होने के कारण मुसलमानों का पहला हक मानते हैं और हिन्दुओं (आर्यों) को बाहर से आया हुआ बताते हैं।

हम हिन्दुओं के शादी-ब्याह, जन्म-मृत्यु, उत्तराधिकार, जीवन शैली, पूजा-पाठ के लिए सैकड़ों कानून बना देते हैं लेकिन मुस्लिम पर्सनल ला की चर्चा करना भी अपराध मानते हैं।

 हम मुसलमानों को रास्ता रोककर नमाज पढ़ने की इजाजत देते हैं और मन्दिर प्रांगण में एकत्रित श्रद्धालुओं पर लाठी चार्ज करते हैं।

 हम 'वीर शिवाजी' पर आधारित टी.वी. धारावाहिक पर प्रतिबंध लगाते हैं और 'मुगले आजम' को राष्ट्रीय पुरस्कार देते हैं।

 हम मुसलमानों को अपना व्यवसाय खोलने के लिए आसान किश्तों पर 5 लाख रुपए का ऋण कभी न चुकाने के आश्वासन के साथ देते हैं और हिन्दू किसानों को ऋण न चुकाने के कारण आत्महत्या के लिए प्रेरित करते हैं।

 हम रमजान के महीने में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य गण्यमान्य व्यक्तियों द्वारा सरकारी पैसों से रोजा इफ्तार का आयोजन करते हैं तथा होली-दीवाली पर एक पैसा भी खर्च नहीं करते।

 हम हजरत मोहम्मद पर डेनमार्क में बने कार्टून पर बलवा करने वालों पर लाठी के बदले फूल बरसाते हैं और राम-कृष्ण को गाली देने वालों को पद्म पुरस्कार देते हैं।

 हम पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को जबरन भेड़ियों के हवाले कर देते हैं और बंगलादेशियों के लिए स्वागत द्वार बनाते हैं।

 हम जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में 'गोमांस उत्सव' का आयोजन करते हैं और बाबा रामदेव के शहद को प्रतिबंधित करते हैं।

 हम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की शाखाएं देश के कोने-कोने में खोलने के लिए सरकारी पैकेज देते हैं और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का अनुदान रोक देते हैं।

 हम आतंकवादियों के घर जाकर आंसू बहाते हैं और शहीद जवानों की विधवाओं और बच्चों को भगवान भरोसे छोड़ देते हैं।

 हम आतंकवादियों से मुठभेड़ को फर्जी मुठभेड़ कहते हैं और हिन्दू साधु-सन्तों को आतंकवादी।

 हम सलमान रुश्दी को भारत आने की अनुमति नहीं देते, तस्लीमा नसरीन को भारत में रहने की इजाजत नहीं देते, लेकिन बीना मलिक को अनिश्चित काल के लिए सरकारी मेहमान बनाते हैं।

साभार : पाञ्चजन्य, लेखक श्री विपिन किशोर सिन्हा

3 comments:

  1. बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति शुभकामना देती ”शालिनी”मंगलकारी हो जन जन को .-2013

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  2. प्रभावी लेखनी,
    नव वर्ष की शुभकामना !!
    आर्यावर्त

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  3. कुछ अलग सी पोस्ट सच्चाई से कही गयी बात.....

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