Pages

Thursday, January 3, 2013

इलाहाबाद नहीं प्रयाग में महाकुम्भ हैं

यदि आप के बच्चे भारत का प्राचीन इतिहास जानने की कोशिश में आप से यह पूछें कि पौराणिक कथाओं में दिये गये नगर अब कहां हैं तो आप उन्हें क्या उत्तर दें गे ? अब काशी का नाम वाराणसी, अयोध्या का नाम फैज़ाबाद, पाटलीपुत्र का नाम पटना और प्रयाग का नाम इलाहबाद है? अभी श्रीनगर, अवन्तीपुर और अनन्तनाग के नामों का इसलामीकरण करने पर भी विचार हो रहा है। हमारा ही देश हम से छीन लिया गया है और हम लाचार बने बैठे हैं। 

मुसलमानों ने भारत में हज़ारों मन्दिरों और भवनों को ध्वस्त किया, लूटा, और उन पर कब्ज़ा कर लिया। प्रमुख मन्दिरों में से यदि काशी विश्वनाथ, मथुरा और अयोध्या को ही गिने तो पिछले कई दशकों से उन के बारे में विवाद कचहरियों में न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है। अगर हिन्दुओं के विरुध कोई ऐसा मज़बी विवाद किसी मुसलिम देश में चल रहा होता तो वहां फैसला होने में क्या इतना समय लगता ?

आने वाली पीढी को यह विशवास दिलाना कठिन है कि कभी अफ़ग़ानिस्तान हिन्दु देश था और उस का नाम आर्याना तथा गान्धार था। जैसे पाकिस्तान, बांगलादेश तथा नेपाल भी हिन्दु देश थे पर अब नहीं, इसी तरह अब हिन्दूस्तान की बारी है और कांग्रेस सरकार हिन्दू पहचान को मिटाने में लगी हुयी है।

इस में कोई संशय नहीं कि जिहादी मुसलमानों को, काँग्रेसियों को और उन के धर्म निर्पेक्ष सहयोगियों को भारत के गौरव-मय प्राचीन इतिहास, और वैदिक साहित्य से कोई सरोकार ना कभी था, ना है, और ना कभी होगा। यह सभी हिन्दु विरोधी हैं और भारत में पुनः इसलामी, क्रिशचियन या ‘फरी-फार-आल’ धर्म-हीन राज्य स्थापित करने के स्वप्न देखते हैं।

आखिर क्यों कर हम अपनी उपलब्धियां, धार्मिक मर्यादायें, अपने पूर्वजों का यश, और अपने पहिचान चिन्ह अपने आप ही मिट्टी में मिलाते जा रहे हैं ? अपनी ऐतिहासिक धरोहर की रक्षा हम क्यों नहीं कर पा रहे ? क्या हमारा आने वाली पीढ़ी ओर कोई उत्तरदात्वि नहीं ? अगर है तो हमें अपने देश को हिन्दु राष्ट्र कहने और बनाने में कोई हिचकचाहट या भय नहीं होना चाहिये।

इस विषय में पहल तो धर्म गुरूओं को करनी चाहिये कि महाकुम्भ के अवसर पर त्रिवेणी में डुबकी लगाने से पहले यह प्रण करें कि आप इलाहबाद का प्राचीन नाम प्रयाग ही इस्तेमाल करें गे और सरकार से इस नाम को अपनाने के लिये इतना जनमत तैय्यार करें गे कि कोई नेता, विधायक या सरकार आनाकानी ना कर सके। सभी राष्ट्रवादियों को ‘इलाहबाद’ के बजाये ‘प्रयाग’ के साथ वही पिनकोड लिख कर पत्र व्यवहार करना चाहिये। 

साभार : लेखक श्री चाँद शर्मा, http://hindumahasagar.wordpress.com

2 comments:

हिंदू हिंदी हिन्दुस्थान के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।