मानव के मस्तिष्क की रचना बहुत ही अद्भुत है| शरीर का यह हिस्सा शुद्ध माना गया है क्योंकि इस स्थान पर शिव और शक्ति का मिलन होता है| ज्ञात चक्र के भीतरी स्थान पर मन का निवास होता है| मस्तिष्क की बुद्धि के ऊपरी भाग में सहस्रदल चक्र अवस्थित है, जो अत्यंत प्रकाशमय, सुंदर और अति तीव्रगति वाला, अनंत शक्ति से संपन्न, अत्यंत रहस्यमय योगचक्र माना जाता है| इस स्थान पर प्राण तथा मन के स्थिर हो जाने पर सर्व-वृत्तियों के निरोध रूप असंप्रज्ञात समाधि की योग्यता प्राप्ति होती है| महर्षियों के अनुसार आज्ञा चक्र के ऊपर ‘मानस चक्र’ नाम का एक चक्र और भी अवस्थित है| यह चक्र विभिन्न प्रकार की संवेदनाओं का आधार है| मानस चक्र के ऊपर भी ‘सोम चक्र’ नामक चक्र की उपस्थिति मानी गई है| यह परार्थवादी भावों का निवास स्थान है| इस पर ध्यान केंद्रित करने से संकल्प का नियंत्रण प्राप्त होता है|
साभार : भारतीय संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ हैं, फेसबुक
No comments:
Post a Comment
हिंदू हिंदी हिन्दुस्थान के पाठक और टिप्पणीकार के रुप में आपका स्वागत है! आपके सुझावों से हमें प्रोत्साहन मिलता है कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय किसी प्रकार के अभद्र शब्द, भाषा का प्रयॊग न करें।