फिर से एक नेता पागल हो रहा हैं. वोटो कि राजनीति के कारण से वो दो दिन से मोदी और संघ को गालिय निकाल रहा हैं. लगता हैं उसमे ओरंगज़ेब कि आत्मा समां गयी हैं. कभी सोनिया, कभी राहुल, कभी दिग्विजय, कभी सिब्बल, कभी मनीष तिवारी, कभी लालू, मुलायम, माया, अब नितीश. ये लोग वोटो के लालच में शायद पागल हो गए हैं. कि आखिर नरेन्द्र मोदी से क्या गुनाह हो गया हैं, जिससे ये तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेता, ये मुस्लिम परस्त नेता , ये मुस्लिम परस्त पार्टिया, आखिर क्यों परेशान हैं. क्या नरेन्द्र मोदी को गाली देना एक धर्मनिरपेक्षता कि निशानी हो गयी हैं. क्या हिदू को गाली देना ही धर्मनिरपेक्षता हैं, क्या मुसलमानों के कार्यक्रम में जाकर मुस्लिम टोपी ओढना धर्मनिरपेक्षता हैं. क्या कश्मीरी पंडितो का समर्थन न करना धर्मनिरपेक्षता हैं, क्या कश्मीर में जाकर आतंकवादियों के साथ फोटो खिचवाना धर्मनिरपेक्षता हैं. क्या बाबरी मस्जिद का समर्थन करना ही धर्मनिरपेक्षता हैं, क्या राम का नाम लेना साम्प्रदायिकता हैं. क्या हिंदू जो इस देश कि आबादी का ८५ प्रतिशत हैं उसका समर्थन करना साम्प्रदायिकता हैं. गोधरा में ५५ हिन्दुओ को जिन्दा जला देना को एक दुर्घटना कहने वाले, फिर हिन्दुओ के द्वारा इसका बदला लेने को जो कि गलत था, गुनाह कहने वाले इस देश को एक गृह युद्ध कि आग में धीरे धीरे झोंक रहे हैं. और कितने पाकिस्तान ये लोग बनवाकर मानेंगे. इन नेताओं को धर्मनिरपेक्षता का अर्थ भी पता हैं या नहीं, ये भगवान ही जाने.
यदि मोदी जी प्रधानमन्त्री पद के उम्मीदवार होते हैं तो कौन सा आसमान टूट पड़ेगा. सबसे पहले ये देखते हैं जो पहले प्रधानमंत्री रहे हैं. वे कितने निरपेक्ष थे, कितने साम्प्रदायिक थे.
नेहरु : नेहरु जी ये कहा करते थे कि में दुर्घटनावश हिंदू हूँ.
राजीव : इंदिरा जी के मरने के बाद ३००० सिक्खो के कत्लेआम के जिम्मेदार, शाहबानो के केस में मुसलमानों को खुश करने के लिए संविधान ही बदल दिया.
वी.पी. सिंह: तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के लम्बरदार, आरक्षण कि आड़ में कई हज़ार बच्चो के आत्मदाह के जिम्मेदार. जब उत्तरप्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे, तो मेरठ, मुरादाबाद में, मुसलमानों के कत्लेआम के जिम्मेदार.
कुछ और धर्मनिरपेक्ष नेता
मुलायम सिंह : अयोध्या में सैकडो कार सेवको के कत्ले आम के जिम्मेदार, उत्तराखंड के क्रांतिकारियों का कत्लेआम .
लालू यादव : मुख्यमंत्री काल में बिहार में सैकडो दंगे.
विभिन्न गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार , यू. पी., आदि के कांग्रेसी मुख्यमंत्र्यो के काल में सैकडो दंगे.
अब आप लोग ही बताए कि कौन सांप्रदायिक, कौन धर्मनिरपेक्ष .
गुजरात दंगो में करीब २०० दंगाई पुलिस कि गोली से मारे गए, जिसमे से १८० हिंदू थे. इस बात को कोई भी क्यों नहीं कहता हैं.
लगता हैं ये सब लोग मोदी जी से आतंकित हो गए हैं. इन जातिवादी, और घोर साम्प्रदायिक लोगो कि राजनीति खत्म होने का समय आ गया हैं. इस लिए ये लोग आतंकित हैं. और इन्हें ये लगता हैं कि जितना मोदी को गाली देंगे, उतनी ज्यादा मुसलमानों कि वोट इन्हें मिलेगी. हिन्दुओ को तो इन्होने जातियों में बाँट दिया हैं. कोई कुर्मी कबीले का सरदार, कोई यादव कबीले का सरदार, कोई जाट कबीले का सरदार, कोई मराठा, और कोई जाटव कबीले का सरदार बन बैठा हैं. अपनी बिरादरी, जमा मुस्लिम वोट मिलकर ये लोग समीकरण बनाते हैं. और बाकी हिन्दुओ और देश को बाँट रहे हैं. हिंदू अपनी इसी कमी से गुलाम हुआ था. यही कारण फिर से सर उठा रहे हैं. मोदी जी से ये लोग आतंकित इसलिए भी हैं, कि कही ये हिन्दुओ को इकठ्ठा ना कर दे. पर इसमें परेशानी क्या हैं? हिंदू यदि एक होता हैं तो देश तो ताकतवर बनेगा. यदि देश ताकतवर बनता हैं तो ये जयचंद और ओरंगज़ेब कंहा जायेंगे.
वन्देमातरम
mar jao mc nitish....hindu hoke miyan se marwa rha h
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